एलिफेंटा की यात्रा

                                                                                                                                   
                                                                                                                                 - देवयानी मल्लिक

एलिफेंटा मुंबई के प्रवेश द्वार ' गेट वे ऑफ़ इंडिया ' से करीब 12 किलोमीटर दूर अरब सागर में स्थित एक ऐतिहसिक द्वीप है जो अपने कलात्मक गुफाओं व मंदिरों के कारण  विश्व  प्रसिद्ध  है। वर्ष 1987  में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूचि में शामिल किया गया।  महानगर के शोरगुल से दूर इस शांत एकांत स्थल का वातावरण शांति प्रदान करता है।  एलिफेंटा द्वीप की सदाबहार हरियाली , स्वच्छ पर्यावरण और प्रकृति परिवेश पर्यटकों को बेहद प्रभावित करता है।  शायद इसलिए प्राचीनकाल में एलिफेंटा को शुद्धिकरण में सहायक द्वीप कहा जाता था। द्वीप पर दो पहाड़िया है जिन्हे एक संकरी घाटी विभाजित करती है।  यहाँ मछुआरों की कई बस्तियां हैं।

यहाँ कुल सात गुफाएं है।  मुख्या गुफा में 26  स्तम्भ है, पहले समूह में पांच हिन्दू गुफाएं और दूसरे में दो बुद्धिस्ट गुफाएं हैं।  हिंदी भगवन शिव को चित्रित करती है।  पहाड़ियों को कांट कर बनायीं गई मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है।

इन गुफाओं की खुदाई तक़रीबन छठी सदी में हुयी थी और द्वीप 15 वीं सदी तक मुख्य धार्मिक स्थल बना रहा।  16 वीं शताब्दी में यह द्वीप पुर्तग़ालियों के अधीन आया और उन्होंने यहाँ पत्थर से बानी हाथी की आकृति देखकर इस द्वीप का नाम एलिफेंटा रख दिया। समुन्दर पर निगरानी रखने के लिए पुर्तग़ालियों ने यहाँ एक वॉच टॉवर और क़िले का भी निर्माण करवाया। अफसर  कैप्टेन हेमिल्टन ने जब गुफ़ा में तोप की गूंज सुनने के लिए टॉप चलाई तो इससे गुफ़ा के स्तम्भों और प्रतिमाओं को भी काफी नुक्सान पंहुचा था।  अभी तक इस द्वीप के किसी भी शिलालेख को खोजै नहीं गया है। इस द्वीप का इतिहास अनुमानों पर आधारित है।

मुंबई से एलिफेंटा तक की आनंददायक यात्रा के लिए गेट वे ऑफ़ इंडिया के पास से ही मोटर लांच स्टीमर आदि की सेवाएं उपलब्ध रहती है।
एलिफेंटा आने-जाने का 180 रुपये का टिकट है जो गेट वे ऑफ़ इंडिया पर स्थित फेरी स्टैंड से ही लेनी होती है।  फेरी से एलिफेंटा जाने में लगभग 1 घंटा लगता है।  मोटर लांच से उतारकर थोड़ा पैदल चलकर या फिर यहाँ चलने वाली टॉय ट्रैन में बैठकर सीढ़ियों तक पंहुचा जा सकता है।
हरे-भरे वृक्षों, झुरमुट से गुजरते , सीढ़ियों के दोनों तरफ खाद्य सामग्री व छोटे-मोटे खिलौने ,आभूषण और अन्य सजावटी या दैनिक उपयोगी वस्तुएं बेचने वालों से मोल-भाव करते और मनपसंद चीज़ें खरीदते हुए पर्यटक लगभग आधा किलोमीटर सीढ़ियों से चढ़कर गुफ़ा मंदिर तक पहुंचते है।
मुंबई से एलिफेंटा तक की आनंददायक यात्रा के लिए गेट वे ऑफ़ इंडिया के पास से ही मोटर लांच स्टीमर आदि की सेवाएं उपलब्ध रहती है।

एलिफेंटा आने-जाने का 180 रुपये का टिकट है जो गेट वे ऑफ़ इंडिया पर स्थित फेरी स्टैंड से ही लेनी होती है।  फेरी से एलिफेंटा जाने में लगभग 1 घंटा लगता है।  मोटर लांच से उतारकर थोड़ा पैदल चलकर या फिर यहाँ चलने वाली टॉय ट्रैन में बैठकर सीढ़ियों तक पंहुचा जा सकता है।
हरे-भरे वृक्षों, झुरमुट से गुजरते , सीढ़ियों के दोनों तरफ खाद्य सामग्री व छोटे-मोटे खिलौने ,आभूषण और अन्य सजावटी या दैनिक उपयोगी वस्तुएं बेचने वालों से मोल-भाव करते और मनपसंद चीज़ें खरीदते हुए पर्यटक लगभग आधा किलोमीटर सीढ़ियों से चढ़कर गुफ़ा मंदिर तक पहुंचते है। 
गुफ़ा का भीतरी भाग अनेक स्तम्भों द्वारा विभाजित है। अंदर वातावरण बेहद शीतल महसूस होता है। उस काल में भी गुफ़ा में अँधेरा महसूस नहीं होता और हल्का-हल्का प्रकाश बना रहता है।  इससे साफ़ नज़र आती है।     
भगवान शिव को समर्पित इस गुफ़ा मंदिर में सातवीं सदी की शिव पार्वती की कई मनमोहक मूर्तियां हैं। मुख्य गुफ़ा के अंतर्गत 9 प्रकार के विभिन्न मुद्रा में शिव-पार्वती की प्रतिमाएं है। इनमे तांडव नृत्य करते नटराज़ , राक्षस का वध करते शिव, शिव-पार्वती विवाह, अर्द्धनारी नटेश्वर शिव, कैलाश पर्वत पर शिव-पार्वती , कैलाश पर्वत उठाते शिव की प्रतिमाएं विशेष रूप से आकर्षित करती है।

यहाँ का प्रमुख आकर्षण भगवन शंकर के तीन रूपों की भव्य 'महेश ' मूर्ति है। यह त्रिमूर्ति अपनी सृजनात्मक कल्पना के कारण विश्व की प्रथम कोटि की कलाकृतियों में स्थान रखती है। गुफा के दक्षिण दीवार  पर उकेरी गई इस मूर्ति में ब्रह्मा , विष्णु और शिव का समन्वय है।  महेश मूर्ति की चौड़ाई करीब 23 फुट तथा ऊंचाई 13 फुट है। उकेरी गई उनके प्रतिमाओं की कलात्मकता देखकर इस मूर्ति में भगवान शंकर के तीन रूपों का चित्रण किया गया है।  इस मूर्ति में शंकर भगवान के मुख पर अपूर्व गंभीरता दिखती है।

दूसरी मूर्ति शिव के पंचमुखी परमेश्वर रूप की है जिसमे शांति तथा सौम्यता का राज्य है।  एक अन्य मूर्ति शंकर जी के अर्धनारीश्वर रूप की है जिसमे दर्शन तथा कला का सुन्दर समन्वय किया गया है।  इस प्रतिमा में पुरुष तथा प्रकृति की दो महान शक्तियों को मिला दिया गया है।  इसमें शंकर टैंकर खड़े दिखाई देते है।  तथा उनका हाथ अभय मुद्रा में दिखाया गया है।  उनकी जाता से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिधारा बहती हुयी चित्रित की गयी है।  एक मूर्ति सदाशिव की चौमुखी में गोलकार है।  यही पे शिव के भी भैरव रूप का सुन्दर चित्रण तथा तांडव नृत्य की मुद्रा में भी शिव भगवन को दिखाया गया है। एलिफेंटा महोत्सव महाराष्ट्र पर्यटन विभाग के तत्वावधान में हर वर्ष फरवरी - मार्च में तीन दिवसीय एलिफेंटा महोत्सव मनाया जाता है।

यहाँ पर आपको न केवल विख्यात एलिफेंटा गुफाएं देखने को मिलेगी अपितु आप द्वीप के आस-पास की प्राकृतिक छटा का भी भरपूर आनंद ले सकेंगे। गुफाओं की मूर्तियां देखकर ज्ञात होगा कि प्राचीनकाल में भी हमारी मूर्तिकलायें कितनी उन्नत व उत्कृष्ट हुआ करती थी।  

Comments